हनुमान जी 11वें रुद्रवतार हैं, दसों दिशाओं में इनकी कीर्ति है, इसके साथ ही बाबा हनुमान जी को मां सीता जी ने अष्ट सिद्धि,और नवनिधि का वरदान दिया हुआ है, जिसके चलते इनके लिये इस संसार में कुछ भी असंभव नहीं है। साथ ही ये चिरंजीवी भी है।
इसके अलावा किसी भी प्रकार के ग्रह परिवर्तन हो या ग्रहों का प्रभाव हो, श्री बजरंगबली हर किसी पर असर डालने में सक्षम है। दरअसल नौ ग्रहों में जहां हनुमान जी देवताओं के सेनापति मंगल के कारक देव है।
: मंगल ग्रह : हनुमान जी एक ऐसे शक्तिशाली देवता है जिनके प्रताप से कोई भी अंजान नहीं है। माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म मंगलवार को हुआ था, वहीं ये स्वयं देवताओं के सेनापति मंगल के कारक देव हैं इसलिए इनकी पूजा करने से मंगल की पीड़ा से मुक्ति मिलने के साथ ही मंगल देव की कृपा बरसने लगती है ।
- वहीं शनि पर भी इनका प्रभाव चलता है।
: शनिदेव : सूर्य पुत्र शनिदेव न्याय के जाने जाते है, जब शनिदेव की दशा चलती है तब ये व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से दंड जरूर देते हैं । लेकिन अगर कोई हनुमान जी की शरण में चला जाता है तो शनिदेव का कोप काफी हद तक शांत हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी को शनिदेव ने वचन दिया हुआ है कि वो उनके भक्तों का कुछ भी नहीं बिगाड़ेंगे । इसलिए हनुमान जी की शरण में जाने से शनिदेव के कोप भाजन से राहत मिलती है।
- इसके अलावा सोमवार जिसके कारक देव भगवान शंकर है, हनुमान जी को उनका ही अवतार माना जाता है।
- बृस्पतिवार के कारक देव श्री हरी विष्णु हैं, तो वहीं उनके अवतार श्रीराम के हनुमान जी स्वयं परम भक्त है
: सूर्य देव : आप सभी ने सुना होगा कि बालक पन में हनुमान जी ने सूर्य देव को फल समझ कर निगल लिया था । जिसके बाद इंद्र के बज्र चलाने के बाद सूर्य देव को मुक्ति मिली थी। लेकिन कम लोगों को ही ये मालूम होगा कि सूर्य देव हनुमान जी के गुरु हैं, हनुमान जी ने सूर्य देव से ही शिक्षा ग्रहण की थी। हनुमान जी के जन्म के समय सूर्य उच्च राशि में थे। इसलिए हनुमान जी की उपासना करने से सूर्य देव भी प्रसन्न हो जाते हैं । वहीं ये मान्यता है कि सूर्य देव की आराधना से चंद्र, बुध, गुरु, ग्रह भी शांत होते हैं और इनकी पीड़ा से मुक्ति मिलती है क्यों कि वो सूर्य देव के मित्र ग्रह हैं ।
- शुक्र की कारक देवी मां लक्ष्मी हैं और वे ही रामायण काल में सीता का रूप लेकर आईं थी, तब उन्होंने ही हनुमान जी को कई वरदान दिए थे।
: शुक्र : हनुमान जी संगीत के महान ज्ञाता, शृंगार प्रिय हैं । इस लिये भक्ति भाव से उनका स्मरण करने और उनका शृंगार करने से वे जल्द खुश हो जाते हैं । इस प्रकार हमें शुक्र ग्रह की पीड़ा से राहत मिलती है ।
राहु-केतु ग्रहों के कष्टों से मुक्ति ...
इसके अलावा राहु और केतु दोनों क्रूर छाया ग्रह हैं, कहा जाता है कि हनुमानजी के भय से राहु भागकर इंद्रदेव की शरण में भाग गया था। हनुमानजी की पूजा और भक्ति करने से इन क्रूर ग्रहों की हिम्मत भी नहीं पड़ती कि वो हनुमान भक्त को कष्ट दें ।
हनुमानजी इस कलियुग में सबसे ज्यादा शक्तिशाली, जाग्रत और साक्षात देवता हैं। इस युग में हनुमानजी की भक्ति करने मात्र से ही दुखों और संकट रक्षा हो जाती है। हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ भावना होनी बेहद जरूरी है, जितनी आपकी भावना प्रबल होगी, उतनी ही जल्दी आपको हनुमान जी की कृपा प्राप्त होगी।
ऐसे करें हनुमान जी की आराधना ?
हनुमान जी की आराधना करते समय एक सामान्य भक्त की तरह भावना को प्रबल करते हुए हनुमान जी की पूजा करें। इस समय मन में ये विश्वास जरूर रखें कि आपको उनकी कृपा जरूर मिलेगी। इसके अलावा हनुमान जी की पूजा करते समये कुछ सामान्य बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
इसके तहत सबसे पहले अपने घर में पूजा स्थान पर साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते हुऐ हनुमान जी के किसी एक रूप की तस्वीर रखें, उनके सामने आसन बिछा लें। इसके बाद दीप जला लें। प्रभु का ध्यान करते हुए धूप, दीप, फल, फूल, मिष्ठान चढ़ाएं ।
बता दें की यहां हनुमान जी की आराधना करने के लिये आपकी भावना बेहद अहम है। जितनी आपके अंदर भक्ति प्रबल होगी उतनी जल्द ही आपको हनुमान जी की कृपा भी मिलेगी। अगर ब्रह्म मुहूर्त में या फिर शाम को गो-धूलि की बेला में आप हनुमान जी की पूजा करेंगे तो आप पर जरूर कृपा बरसेगी ।
इस बात का रखें विशेष ध्यान..
चूकिं हनुमान जी भगवान श्री राम जी के अनन्य भक्त हैं, ऐसे में आपको सबसे पहले प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। कम से कम 11 बार 'ओम गं गणपतये नम :' का जाप कर लें । इसके बाद हनुमान जी का ध्यान करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ कम से कम पांच बार ,या फिर सात बार, या फिर 11 बार करें। हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद भगवान श्रीरामचन्द्र जी का ध्यान करते हुए कुछ देर उनका नाम या फिर भजन करें। हनुमान जी भगवान श्रीराम चन्द्र जी का भजन सुन कर बेहद प्रसन्न हो जाते हैं ।