आपकी कुंडली में ऐसे कौन से ग्रह संयोजन होते हैं, जो आपको मेडिकल फील्ड में काम करने के लिए प्रेरित करते हैं अर्थात् डॉक्टर बनने के लिए ग्रहों का क्या गठबंधन होना आवश्यक है, ताकि आप एक कुशल और सफल चिकित्सक बन सकें।
सफल चिकित्सक बनने के लिए कुंडली के विशेष भाव
कुंडली का चतुर्थ और पंचम भाव हमारी शिक्षा और हमारी बुद्धि के बारे में बताता है। इन दोनों से जातक की शिक्षा और उसकी सोच का पता चलता है और यदि वह मेडिकल क्षेत्र में रुचि रखता है तो इसका ज्ञान भी इन भावों से लग सकता है।
उपरोक्त तीन भावों के अतिरिक्त, कुंडली का छठा, आठवाँ और बारहवाँ भाव भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि छठा भाव रोग का भाव है, बारहवाँ भाव अस्पताल का भाव होने के कारण उपचार का भाव है और आठवां भाव आयु का भाव है। साथ ही यह अस्पताल में काम करने वालों और रोग निदान के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए काफी महत्वपूर्ण भाव है। प्रथम भाव अर्थात लग्न शरीर है और और हम स्वयं हैं। द्वितीय भाव धन भाव होने के साथ-साथ हमारा वाणी भाव भी है। एकादश भाव से आमदनी और कार्य में सफलता का पता लगता है। इन भावों के अतिरिक्त दशम भाव कार्य और व्यवसाय का विशेष भाव भी है, इसलिए एक कुशल चिकित्सक बनने के लिए इन सभी भावों का समावेश अत्यंत आवश्यक है।
कुंडली में डॉक्टर बनने के योग
आज के समय में डॉक्टरी का पेशा एक अत्यंत महत्वपूर्ण पेशा माना गया है क्योंकि जहां डॉक्टर रोगी की गंभीर रोगों से लड़ने में मदद करता है और उसे नया जीवन प्रदान करता है ऐसे में यदि आपके मन में यह इच्छा है कि आप अथवा आपकी संतान डॉक्टर बने तो आप कुंडली में उपस्थित ग्रहों के संयोजन से यह जान सकते हैं कि क्या आपकी कुंडली में एक सफल चिकित्सक बनने का योग उपस्थित हैं।
डॉक्टर बनने हेतु मुख्य ग्रह
किसी भी पेशे के लिए कुछ ग्रह विशेष अपना योगदान देते हैं। ऐसे ही चिकित्सक बनने के लिए कुछ ग्रहों की विशेष भूमिका मानी गई है। आइए जानते हैं कौन से हैं वे ग्रह:
सूर्य
सूर्य ग्रह सभी ग्रहों का राजा है और यह आरोग्य का कारक होने के कारण स्वास्थ्य के लिए मुख्य ग्रह माना गया है। यह आपके अंदर आत्मबल पैदा करता है। यदि सूर्य मजबूत स्थिति में होकर चंद्रमा बृहस्पति या मंगल के साथ कुंडली के केंद्र भावों में हो तो चिकित्सा के क्षेत्र में सफल बनाता है।
चंद्रमा
चंद्रमा सभी औषधियों का कारक ग्रह है, इसलिए किसी भी डॉक्टर के लिए औषधियों का ज्ञान आवश्यक है। यही वजह है कि चंद्रमा का महत्वपूर्ण स्थान है। यदि कुंडली में चंद्रमा पाप ग्रहों से प्रभावित हो और कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा इन भावों का स्वामी होकर दशम भाव में हो तो चिकित्सा के क्षेत्र में उन्नति देता है।
गुरु
गुरु ज्ञान का मुख्य कारक ग्रह है और एक डॉक्टर के लिए आवश्यक है कि उसे स्वयं को अपडेट रखने के लिए अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए जिज्ञासु रहना चाहिए, इसलिए बृहस्पति का महत्वपूर्ण योगदान है। गुरु को जीव कारक कहा जाता है। यदि गुरु मजबूत है तो व्यक्ति एमबीबीएस जैसी पढ़ाई कर सकता है। गुरु के पीड़ित होने की स्थिति में यदि कुंडली में चिकित्सक बनने के अन्य योग विद्यमान हैं तो वह आयुर्वेदिक अथवा होम्योपैथिक चिकित्सा में हाथ आजमा सकता है।
मंगल
साहस और पराक्रम का कारक है तथा अस्त्रों और शास्त्रों का भी कारक है। डॉक्टर को अनेक औज़ारों से काम करना पड़ता है और चीर फाड़ के कार्य भी करने पड़ते हैं, जिसके लिए मंगल अति आवश्यक है। मंगल का छठे अथवा दसवें भाव से संबंध बनाना विशेष रूप से शल्य चिकित्सक बनाने में सहायक होता है।
शनि
शनि व्यक्ति को गंभीरता देता है और सेवा भावी बनाता है तथा यह टेक्निकल शिक्षा और कौशल देने में माहिर ग्रह है, इसलिए शनि ग्रह का भी बड़ा योगदान है। यदि शनि ग्रह का प्रभाव दशम भाव अथवा दशम भाव के स्वामी पर हो और शनि ग्रह छठे, आठवें या बारहवें भाव का स्वामी हो और पाप ग्रहों के साथ हो तो चिकित्सा के क्षेत्र में मजबूती देता है।
राहु
राहु एक चमत्कारी ग्रह है और डॉक्टरी विद्या के लिए जिस शिक्षा की आवश्यकता होती है, उसके लिए राहु भी परम आवश्यक है। यदि राहु छठे भाव में हो और दशम भाव के स्वामी या दशम भाव से संबंध बनाए और पाप ग्रहों से संबंधित हो तो चिकित्सक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ग्रहों की युति एवम् संयोग और चिकित्सा पद्धति
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की युति को अत्यंत महत्व दिया जाता है क्योंकि किसी भाव में एक से अधिक ग्रहों की उपस्थिति अलग प्रकार से फल देने में सक्षम होती है। शरीर से संबंधित अलग-अलग विभाग होते हैं और अलग-अलग डॉक्टर। इसी प्रकार किस प्रकार का ग्रह युति संबंध किस प्रकार की चिकित्सा में महारत देता है, यह जानने के लिए कुछ विशेष ग्रह युतियों का वर्णन इस प्रकार है:
यदि आपको सर्जन अर्थात् शल्य चिकित्सक बनना है तो उसके लिए मंगल की महत्वपूर्ण भूमिका है।
यदि आप मनोरोग से संबंधित चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हैं तो आपकी कुंडली में चंद्रमा, बुध, शनि, राहु और केतु का संयोग होना चाहिए।
यदि आप बाल रोग विशेषज्ञ बनना चाहते हैं तो उसके लिए आपकी कुंडली में चंद्रमा और बुध का सुंदर संयोग आवश्यक है।
हृदय रोग विशेषज्ञ बनने के लिए कुंडली में सूर्य और मंगल की आवश्यकता होती है।
हड्डी रोग विशेषज्ञ अर्थात् ऑर्थोपेडिक्स के लिए शनि और मंगल की मजबूत स्थिति आवश्यक है।
कान नाक गला रोग विशेषज्ञ अर्थात् ईएनटी के लिए मंगल और बुध ग्रह का संयोजन आवश्यक है।
कुंडली में मंगल और केतु की युति हो या मंगल शनि अथवा बुध, शनि अथवा सूर्य, मंगल अथवा चंद्र, शनि की युति हो तो व्यक्ति एक कुशल डॉक्टर होने के साथ सर्जरी अथवा शल्य चिकित्सा में सफल बन सकता है।
शनि और सूर्य की विशेष और मजबूत व्यक्ति व्यक्ति को दंत चिकित्सा में अग्रणी बनाती है।
यदि सूर्य, बुध और शुक्र की युति हो तो भी व्यक्ति दांतो का डॉक्टर बन सकता है।
सूर्य और शुक्र की युति ह्रदय रोग, स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा न्यूरो सर्जन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सूर्य, मंगल और बुध की युति डॉक्टरी पेशे के लिए एक अच्छी युति मानी गई है।
यदि कुंडली में गुरु और शुक्र की युति हो तो व्यक्ति नेफ्रोलॉजी में सफलता प्राप्त कर सकता है।
शनि और राहु की युति होने पर व्यक्ति एनेस्थीसिया देने वाला पेशा अपना सकता है।
औषधि विज्ञान में महारत प्राप्त करने के लिए राहु और सूर्य की युति आवश्यक है।
यदि कुंडली में गुरु और शनि की युति हो तो यह गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी के लिए अच्छी मानी जाती है।
न्यूरोलॉजी में सफल करियर बनाने के लिए बृहस्पति और बुध की युति अच्छी होती है।
यदि कुंडली में राहु मंगल और गुरु का विशेष संयोग है तो व्यक्ति ऑन्कोलॉजी विभाग में डॉक्टर होता है।
कुंडली में शुक्र, शनि और केतु की युति अथवा मजबूत संबंध होना और ऐसा संबंध वृश्चिक राशि में हो तो विशेष रूप से व्यक्ति गुप्त रोग विशेषज्ञ बन सकता है।
गुरु और बुध की युति ग्रंथि रोग का डॉक्टर बनने में सहायक होती है।
यदि व्यक्ति की कुंडली में शनि, राहु और केतु का मजबूत संयोग है तो ऐसा व्यक्ति जीवन रक्षक दवाइयाँ व टीके से संबंधित काम करता है।
यदि व्यक्ति की कुंडली में राहु मजबूत है तो ऐसा व्यक्ति एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जैसे तकनीकी कार्य में दक्षता रखता है।
कुछ अन्य विशेष योग
कुंडली में उपरोक्त ग्रह स्थिति के अलावा कुछ विशेष योग होने पर व्यक्ति मेडिकल फील्ड में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल होता है।
यदि कुंडली के छठे और आठवें भाव का सम्बन्ध यदि पांचवें और दसवें भाव या इनके स्वामियों से हो तो व्यक्ति कुशल चिकित्सक बन सकता है।
सूर्य, मंगल और बृहस्पति यदि दशम भाव में हों तो व्यक्ति डॉक्टर बन सकता है।
यदि शुक्र और बृहस्पति का संबंध कुंडली के छठे अथवा बारहवें भाव में बने तो व्यक्ति चिकित्सक बन सकता है।
यदि कुंडली के पांचवे, नवें और दसवें घर से सूर्य, शनि और राहु का संबंध हो तो मेडिकल फील्ड में जाने के योग बनते हैं।
सूर्य और बुध की युति हो तथा गुरु केंद्र भाव में हो और चंद्रमा अष्टम भाव में स्थित हो तो व्यक्ति को चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति देता है।
इस प्रकार जातक की कुंडली में कुछ ग्रहों विशेष की उल्लेखनीय स्थिति होने पर व्यक्ति डॉक्टरी को पेशे के रूप में अपना सकता है और अपने जीवन में एक सफल चिकित्सक बन सकता है। यदि आप डॉक्टर बनना चाहते हैं और आपकी कुंडली में भी उपरोक्त में से कुछ योग विद्यमान हैं और उन ग्रहों से संबंधित महादशा अथवा अंतर्दशा चल रही है तो आपको उन ग्रहों को मजबूत बनाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि आप मेडिकल फील्ड में जा सकें। अपने अंदर सेवा भाव रखें ताकि आप जीवन में सफल हो सकें क्योंकि चिकित्सक बनने के लिए सर्वप्रथम आपके अंदर मानवीय भावनाएं और सेवा का भाव होना अति आवश्यक है।