5 जुलाई, गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 11:35:57 बजे, 4 जुलाई 2020 से
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त – 10:16:08 बजे, 5 जुलाई 2020 तक
नोट: 5 तारीख को गुरु पूर्णिमा के साथ साथ उपच्छाया चंद्र ग्रहण भी लग रहा है| चंद्रग्रहण का समय सुबह 8:38 पर शुरू होगा और सुबह 11:21 पर खत्म हो जाएगा। हालांकि, चूंकि इस प्रकार के चंद्र ग्रहण को वैदिक ज्योतिष में ज्योतिषीय घटना के रूप में मान्यता नहीं दी गई है, इसलिए कोई सूतक काल नहीं देखा जाएगा। इसलिए, जातक गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि और अनुष्ठान बिना हिचक कर सकते हैं।
गुरु पूर्णिमा पूजन विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन देश के कई मंदिरों और मठों में गुरुपद पूजन किया जाता है। हालाँकि अगर आपके गुरु अब आपके साथ नहीं हैं या वो दिवंगत हो गए हो तो भी आप इस तरह से गुरु पूर्णिमा के दिन उनका पूजन कर सकते हैं।
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान आदि करें और उसके बाद घर की उत्तर दिशा में एक सफेद कपड़ा बिछाकर उसपर अपने गुरु की तस्वीर रख दें।
इसके बाद उन्हें माला चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं।
इसके बाद उनकी आरती करें और जीवन की हर एक शिक्षा के लिए उनका धन्यवाद दें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस दिन सफेद रंग के या फिर पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना गया है।
इस दिन की पूजा में अवश्य शामिल करें गुरु मंत्र।
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
इस मंत्र का अर्थ है कि, “गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरु हि शंकर हैं; गुरु हि साक्षात् परब्रह्म हैं; उन सद्गुरु को प्रणाम ।
वैसे गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन की यह विधि वो लोग भी अपना सकते हैं जो अपने गुरु से किसी कारणवश दूर रहते हो, या फिर किसी कारण से वो अपने गुरु के पूजन-वंदन को नही जा सकते हैं। हाँ लेकिन अगर आप गुरु का पूजन वंदन करने जा रहे है तो अपने गुरु के पैर पर फूल चढ़ाएं, उनके मस्तिष्क पर अक्षत और चंदन का तिलक लगायें, और उनका पूजन कर उन्हें मिठाई या फल भेंट करें। उनका शुक्रिया-अदा करें और उनका आशीर्वाद लें।
गुरु नहीं हैं तो भगवान विष्णु को मानें अपना गुरु
वैसे तो ऐसा मुमकिन ही नहीं है कि किसी भी इंसान का कोई गुरु नहीं हो लेकिन मान लीजिये कि किसी कारणवश आपके जीवन में कोई गुरु नहीं हैं तो आप गुरु पूर्णिमा के दिन क्या कर सकते हैं?
सबसे पहले तो ये जान लीजिये कि हर गुरु के पीछे गुरु सत्ता के रूप में शिव जी को ही माना गया है। ऐसे में अगर आपका कोई गुरु नहीं हों तो इस दिन शिव जी को ही गुरु मानकर आपको गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाना चाहिए।
आप भगवान विष्णु को भी गुरु मान सकते हैं। इस दिन की पूजा में भगवान विष्णु, जिन्हें गुरु का दर्जा दिया गया है या भगवान शिव की ऐसी प्रतिमा लें जिसमें वो कमल के फूल पर बैठे हुए हों। उन्हें फूल, मिठाई, और दक्षिणा चढ़ाएं।