ज्योतिष की दृष्टि में राहु
*********************
राहु :यह एक छाया ग्रह ।
गले के ऊपरी भाग पर राहु का
बाकी नीचे का केतु का स्वामित्व या अधिकार है
कन्या राशि :स्वराशि।
मिथुन राशि में उच्च व धनु में नीच का होता है।
मित्र ग्रह :शनि, बुध व शुक्र ।
शत्रु ग्रह :सूर्य, चंद्र, मंगल व गुरु ।
तामसिक ग्रह।
कारक तत्वों : मतिभ्रम, छल-कपट, झूठ बोलना, चोरी, तामसिक भोजन, षड्यंत्र, छिपे शत्रु, अनैतिक कर्म, आकस्मिकता, नकारात्मक सोच,
शुभ फलकारक:शनि, शुक्र ,बुध के लग्नेश होने पर मित्रता के कारण राहु
शुभफल कारक
शत्रु फलकारक:
सूर्य, चंद्र, मंगल व चंद्रमा के लग्नेश होने के कारण कुछ अशुभ
राहु की भावफलदायक : जन्मकुंडली में तृतीय, षष्ठ व एकादश भाव में राहु उत्तम फलदायक रहता है।
अच्छा फलदायक : 1,लग्न, 5,पंचम,9, नवम, 10,दशम भाव में।
मध्यम फलदायक :2,द्वितीय व 7, सप्तम में 4, चतुर्थ ।
अनिष्टकारक :8,अष्टम व12, द्वादश भाव ।
फलादेश के लिये : राहु मित्र ग्रह की राशि में है या शत्रु की राशि में।
राहु किसी भी भाव में शत्रु राशि में हो उस भाव की हानि करेगा और यदि मित्र राशि में है तो सहायक होगा।
ग्रहों से युति का फल:
राहु सूर्य युति : पिता का सुख नहीं मिलेगा, या कमज़ोर होगा
पुत्र सुख में भी कमी होगी,
प्रसिद्धि व प्रतिष्ठा मे कमी ,
आत्मविश्वास मे कमी , यश मे कमी ।
राहु चंद्रमा युति : माता के सुख मे कमी
मानसिक रूप से अशांत।
एकाग्रता की कमी।.
अवसाद में आना ।
चिंता करना ।
व्याकुलता व घबराहट से परेशान।
राहु मंगल युति : अनिष्टकारी ,क्रोधी व अहंकारी होती है।
दुर्घटना, शत्रु बाधा ,लड़ाई झगड़े । वैवाहिक जीवन में समस्याएं ।
राहु बुध युति : निर्णय क्षमता में कमी। शिक्षा में उतार-चढ़ाव।
अगर 2 हाउस में हो तब वाणी दोष भी बनता है परिवार से दूरी बनेंगी
राहु गुरु युति : गुरु चांडाल दोष बनता है ।
विवेक में कमी, शिक्षा में बाधा ।
संतान सुख में बाधायें। प्रतिभा कम होती है। उन्नति में भी बाधायें।
राहु शुक्र युति : तामसिक विलासिता शराब औऱ अन्य नशे की आदत।
प्रेम-विवाह, अन्तर्जातीय विवाह भी हो सकता है।
राहु शनि युति : आकस्मिक लाभ भी हो सकता है।
चतुराई से लाभ। पर आजीविका में कुछ संघर्ष ।
राहु की महादशा का फल:
अनिष्टकारक होगी या शुभ कारक।
*******************************
राहु अशुभ स्थिति में है तो निश्चित ही अनिष्टकारी होगा। शुभ स्थिति में होने पर उतना ही आकस्मिक लाभ करायेगा।जीवन में सभी सुख सुविधाएँ होंगी
कुंडली में राहु 4,चतुर्थ, 8,अष्टम या 12,यानी द्वादश भाव में स्थित है तो राहु की दशा अशुभ फल कारक होगी।
कुंडली के अकारक ग्रहों 6, षष्ठेश, 8,अष्टमेश व 12,द्वादशेश भाव के मालिकों से द्रस्तिगत या युत राहु भी अशुभ फलकारक होगा।
जैसे ग्रहों के प्रभाव में होगा वैसा ही फल करेगा।
कुंडली में राहु 3,तृतीय, 6षष्ठ व 11, एकादश भाव में है तो अपनी दशा में शुभकारक होगा।
अगर 1,5,9,11 यानी लग्न, पंचम, नवम, दशम भाव में भी शुभ है।
कुंडली के शुभकारक ग्रह1,5,9 यानी लग्नेश, पंचमेश व नवमेश से दृष्ट या युत राहु दशा में शुभ फलकारक होगा।
कुंडली में राहु अशुभ स्थिति में है तो उसकी दशा में , मन में अशांति , मन चलायमान , व्यक्ति मतिभ्रम , गलत निर्णय ,कर्म तथा लक्ष्य से भटकना , बुरी आदतों का शिकार,बड़ों का कहना न मानना , लापरवाही के कारण असफलता आदि होगा ।
राहु शुभ स्थिति में है तो ऐसे राहु की दशा में व्यक्ति को आकस्मिक लाभ अवश्य होते हैं तथा व्यक्ति थोड़े समय में ही अप्रत्याशित उन्नति कर लेता है और सभी रूके कार्य इस समय में स्वतः ही पूरे हो जाते हैं।
राहु के अनिष्ट फल से बचने के उपाय:
ऊँ रां राहवे नमः का प्रतिदिन एक माला जाप करें।
दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
पक्षियों को बाजरा खिलायें ।
धान्य का दान करते रहें।
शिवलिंग को जलाभिषेक करें।
र्नैत्य कोण S/ W दिशा में पीले रंग के फूल लगाना ठीक रहता है ।
तामसिक आहार व नशा नही करना चाहिए ।
पहली मुफ्त सलाह के लिए गिफ्ट कोड FS16 से मोबाइल ऐप में रजिस्टर करे , वीडियो देखे
https://youtu.be/3rBsGaSvEdI
योगा, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सक, ज्योतिष विद्वान, मनोवैज्ञानिक ,कानूनी सलाहकार , कैरियर सलाहकार, चार्टर्ड अकाउंटेंट, बिजनेस कंसलटेंट या अन्य कोई मानवता के काम आने वाली विशेष योग्यता रखते हैं ऐसे विद्वानों से फ्यूचर स्टडी ऑनलाइन द्वारा प्रस्तुत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विश्व के किसी भी कोने से व्यक्ति सलाह लेकर जीवन को लाभान्वित कर सकते हैं । सशुलक सलाह के लिए ऐप लिंक से डाऊनलोड करें
https://play.google.com/store/apps/details?id=futurestudyonline.vedicjyotishvidyapeeth&hl=en
या वेबसाइट में रजिस्टर करे। फोन द्वारा कोई भी व्यक्ति विद्वान सलाहकार से अपने लिए मार्गदर्शन ले सकता है ।
http://www.futurestudyonline.com
जय श्री राम