हिंदू धर्म में शक्ति की देवी मां दुर्गा की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल दिन मंगलवार से प्रारंभ हो रहा हैं। हिंदू पंचांग में चैत्र मास को हिंदू नववर्ष का प्रथम मास माना जाता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और मां दुर्गा के भक्त इस दिन पूरी आस्था के साथ घटस्थापना और जवारे बो कर नौ दिनों तक श्रद्धापूर्वक माता की पूजा करते हैं।
नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां भगवती के एक स्वरुप (श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री) की पूजा की जाती है । यह क्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रात: काल शुरू होता है । सर्वप्रथम कलश स्थापना की जाती है । आइए जानते हैं कैसे करते हैं घट स्थापना-
घटस्थापना शुभ मुहूर्त:
घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 05:58 से 10:14 Am तक
घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:56 Am से 12:47 Pm
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 12, 2021 को 08:00 Am
प्रतिपदा तिथि समाप्त – अप्रैल 13, 2021 को 10:16 Am
घट स्थापना करना अर्थात नवरात्रि की कालावधि में ब्रह्मांड में कार्यरत शक्ति तत्त्व का घट में आवाहन कर उसे कार्यरत करें। कार्यरत शक्ति तत्त्व के कारण वास्तु में विद्यमान कष्टदायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं ।
सामग्री:
जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र
जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिटटी
पात्र में बोने के लिए जौ
घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश
कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल
मोली (Sacred Thread)
इत्र
साबुत सुपारी
दूर्वा
कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के
पंचरत्न
अशोक या आम के 5 पत्ते
कलश ढकने के लिए ढक्कन
ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल
पानी वाला नारियल
नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा
फूल माला
विधि
सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें । इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं । अब एक परत जौ की बिछाएं । इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं । अब फिर एक परत जौ की बिछाएं । जौ के बीज चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे । इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं । अब कलश के कंठ पर मोली बांध दें । कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें । कलश में साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल डालें । कलश में थोड़ा सा इत्र डाल दें ।
कलश में पंचरत्न डालें । कलश में कुछ सिक्के रख दें । कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें । अब कलश का मुख ढक्कन से बंद कर दें । ढक्कन में चावल भर दें । इसके बाद नारियल पर लाल कपड़ा लपेट कर मोली लपेट दें । अब नारियल को कलश पर रखें । शास्त्रों में उल्लेख मिलता है: “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय,ऊर्ध्वस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय,तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीकेलं”। अर्थात् नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है । नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है । इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहें । ध्यान रहे कि नारियल का मुख उस सिरे पर होता है, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है ।
अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचों बीच रख दें । अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें । "हे सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इस में पधारें ।" अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें । धूपबत्ती कलश को दिखाएं । कलश को माला अर्पित करें । कलश को फल मिठाई अर्पित करके कलश को इत्र समर्पित करें । कलश स्थापना के साथ ही भक्त मां की पूजा-अर्चना प्रारंभ कर देता है ।
घटस्थापना का महत्व
नवरात्रि में घटस्थापना का विशेष महत्व होता है। ये नवरात्रि का पहला दिन होता है और इस दिन से नवरात्रि का आरंभ होता है सनातन धर्म में किसी शुभ कार्य को करने से पहले कलश स्थापना करना शुभ माना जाता है और इसी कलश को शास्त्रों में भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है। इस लिए हर पूजा या मंगल कार्य की शुरुआत सर्वप्रथम गणेश जी की वंदना से की जाती है, जिसमें कलश की स्थापना पूरे विधि-विधान करने के बाद ही कोई शुभ कार्य किया जाता है।
चैत्र नवरात्रि शक्ति देवी मां दुर्गा का पर्व है। नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की पूजन विभिन्न तरीको से जैसे – अखंड दीप साधना, व्रत उपवास, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जाप करें। अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करें।