आज है शनिश्चरी अमावस्या? ************************* शनि अमावस्या के दिन भगवान सूर्य देव के पुत्र शनि देव की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। किसी माह के जिस शनिवार को अमावस्या पड़ती है, उसी दिन 'शनि अमावस्या' मनाई जानी है। यह 'पितृकार्येषु अमावस्या' और 'शनिश्चरी अमावस्या' के रूप में भी जानी जाती है। 'कालसर्प योग', 'ढैय्या' तथा 'साढ़ेसाती' सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए 'शनि अमावस्या' एक दुर्लभ दिन व महत्त्वपूर्ण समय होता है। पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं में 'शनि अमावस्या' की काफ़ी महत्ता बतलाई गई है। इस दिन व्रत, उपवास, और दान आदि करने का बड़ा पुण्य मिलता है। भाग्य विधाता शनि देव ******************** भगवान सूर्य देव के पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। यह सही है कि शनि देव की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है, लेकिन शनि देव मनुष्यों के कर्मों के अनुसार ही फल देते है। भगवान शनि देव भाग्य विधाता हैं। यदि निश्छल भाव से शनि देव का नाम लिया जाये तो व्यक्ति के सभी कष्ट और दु:ख दूर हो जाते हैं। श्री शनि देव तो इस चराचर जगत में कर्मफल दाता हैं, जो व्यक्ति के कर्म के आधार पर उसके भाग्य का फैसला करते हैं। इस दिन शनि देव का पूजन सफलता प्राप्त करने एवं दुष्परिणामों से छुटकारा पाने हेतु बहुत उत्तम होता है। इस दिन शनि देव का पूजन सभी मनोकामनाएँ पूरी करता है। 'शनिश्चरी अमावस्या' पर शनि देव का विधिवत पूजन कर सभी लोग पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं। शनि देव क्रूर नहीं, अपितु कल्याणकारी हैं। इस दिन विशेष अनुष्ठान द्वारा पितृदोष और कालसर्प दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की 'साढ़ेसाती', 'ढैय्या' और 'महादशा' जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है। शनि देव को परमपिता परमात्मा के जगदाधार स्वरूप 'कच्छप' का ग्रहावतार और 'कूर्मावतार' भी कहा गया है। वह महर्षि कश्यप के पुत्र सूर्य देव की संतान हैं। उनकी माता का नाम 'छाया' है। इनके भाई 'मनु सावर्णि', 'यमराज', 'अश्विनीकुमार' और बहन का नाम 'यमुना' और 'भद्रा' है। उनके गुरु स्वयं भगवान 'शिव' हैं और उनके मित्र हैं- 'काल भैरव', 'हनुमान', 'बुध' और 'राहु'। समस्त ग्रहों के मुख्य नियंत्रक हैं शनि देव। उन्हें ग्रहों के न्यायाधीश मंडल का प्रधान न्यायाधीश कहा जाता है। शनि देव के निर्णय के अनुसार ही सभी ग्रह मनुष्य को शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। न्यायाधीश होने के नाते शनि देव किसी को भी अपनी झोली से कुछ नहीं देते। वह तो केवल शुभ-अशुभ कर्मों के आधार पर ही मनुष्य को समय-समय पर वैसा ही फल देते हैं, जैसे उन्होंने कर्म किया होता है। धन-वैभव, मान-समान और ज्ञान आदि की प्राप्ति देवों और ऋषियों की अनुकंपा से होती है, जबकि आरोग्य लाभ, पुष्टि और वंश वृद्धि के लिए पितरों का अनुग्रह जरूरी है। शनि एक न्यायप्रिय ग्रह हैं। शनि देव अपने भक्तों को भय से मुक्ति दिलाते हैं। Astrology can Help you as navigation for future path of life. We had started Online Consultation Just Download App and Register You will get free Horoscope and You will get 100 Rs gift wallet money for call Now .My GiftCode is : FS16 Use my gift code and talk with me via app using call now button For Astro, Please visit:
https://www.futurestudyonline.com/astro-details/16 Expertise :Counselling Therapist,KP Astrology,Lal Kitab Expert,Numerology,Palmistry,Vastu consultation,Vedic Astrology For Mobile App, Please visit:
https://play.google.com/store/apps/details?id=futurestudyonline.vedicjyotishvidyapeeth For IOS Mobile App, Please visit:
https://apps.apple.com/in/app/futurestudy-online/id1498930538